मैदान-ए-जंग में आमने-सामने पति-पत्नी, पढ़ें दिलचस्प कहानी
मैदान-ए-जंग में आमने-सामने पति-पत्नी, पढ़ें दिलचस्प कहानी
देवभूमि में सियासी दंगल का अखाड़ा सज चुका है। इस बार सोमेश्वर विधानसभा सीट खास सुर्खियों में है। क्योंकि इस सियासी अखाड़े में प्रतिद्वंदी कोई नहीं बल्कि पति-पत्नी ही हैं। पति समाजवादी पार्टी से तो पत्नी निर्दलीय चुनाव में उतरी हैं।
इतना ही नहीं दोनों जीत को लेकर आश्वस्त हैं। सोमेश्वर विधानसभा सीट पर 8 उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमाने के लिए उतरे हैं। लेकिन विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बले गांव निवासी बलवंत आर्य और उनकी पत्नी मधुबाला आर्य एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।
बलवंत आर्य को समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है तो मधुबाला आर्य निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रही हैं। बताते चलें कि बलवंत आर्य और मधुबाला आर्य बीते 25 वर्षों से ज्यादा समय तक बीजेपी में सक्रिय रूप से राजनीति कर चुके हैं। मधुबाला आर्य ने बीजेपी से सोमेश्वर विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी की थी।
लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन कराया। जबकि बलवंत आर्य ने समाजवादी पार्टी के बैनर तले अपना नामांकन किया है। दोनों पति-पत्नियों के चुनाव मैदान में उतरने से क्षेत्र में काफी चर्चा है। अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर विधानसभा सीट (आरक्षित) है।
यहां पर बीजेपी की ओर से कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या प्रत्याशी हैं। जबकि कांग्रेस की ओर से राजेंद्र बाराकोटी प्रत्याशी हैं। अब यहां पर पति-पत्नी ने भी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोक दी है। दोनों ने अपना प्रचार भी शुरू कर दिया है।
बीजेपी ने नहीं दिया टिकट तो मैदान में उतरे पति-पत्नीः
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी बलवंत आर्य ने बताया कि वो 25 साल से बीजेपी में सक्रिय थे। बीजेपी ने उनकी उपेक्षा की है इसलिए बीजेपी छोड़ समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले 5 वर्षों से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। मधुबाला आर्य ने कहा कि उन्होंने इस बार बीजेपी से दावेदारी की थी।
उन्होंने भाजपा मंडल अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष तथा प्रदेश अध्यक्ष को अपनी दावेदारी का आवेदन भेजा था। लेकिन उनके आवेदन पर कोई विचार नहीं किया गया तथा भाजपा संगठन ने सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र से कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य को एकमात्र दावेदार घोषित कर दिया। उनके आवेदन को दरकिनार कर पैनल में उनका नाम तक नहीं भेजकर उनकी घोर उपेक्षा की है।
उनको टिकट नहीं दिया गया इसलिए वह भी निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। यह उनका निजी फैसला है वह भाजपा प्रत्याशी को चुनाव में मात देने के उद्देश्य से ही मैदान में उतरी हैं।
दिन में अलग-अलग करते हैं प्रचार, रात को एक साथ करते हैं भोजन: दोनों पति-पत्नी चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए अपनी अलग से रणनीति बना रहे हैं। प्रचार में भी अलग-अलग क्षेत्रों में जा रहे हैं। शाम को घर में एक साथ रहकर भोजन करते हैं। बलवंत आर्य ने हाई स्कूल तक पढ़ाई की है। जबकि मधुबाला स्नातक है। मधुबाला वर्तमान में ताकुला ब्लॉक से जिला सहकारी बैंक की निदेशक भी हैं। तो था वह कई वर्षों से भारतीय जनता पार्टी और महिला मोर्चा की सक्रिय सदस्य रही हैं।
घर में हैं चार बच्चे, जिनमें दो मतदाता हैं
बलवंत आर्य और मधुबाला आर्य के चुनाव लड़ने की तरह ही उनके घर में उनके बच्चों का समर्थन भी बड़ा दिलचस्प दिखाई दे रहा है। बलवंत आर्य का कहना है कि उनके चार बच्चे हैं। जिनमें दो बेटे और दो बेटियां हैं। लेकिन अभी केवल दो बेटियां ही वोटर बनी है। बेटियों ने भी घर में न्याय की बात करते हुए कहा है कि एक वोट पापा को तो एक वोट मम्मी को मिलेगा। लेकिन दोनों बेटियां यह बताने को तैयार नहीं है कि कौन मम्मी को वोट देगी और कौन पापा को?